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Showing posts from March, 2011

ban kar rah gye

इबादते एक खवाब बन कर रह गये  हर आरजू एक आस बन कर रह गये  ना जाने क्या गलती है हमारी , दर्द भी एहसान बन कर रह गये  अड़ तो हादसों में चल रहा  ये सफ़र  वो हसीं पल बस याद बन के रह गये  किसी के होने का एहसास धुड़ते रहे  रिश्ते भी अनजान बन कर रह गये  अनचाहे ठोकरों में पल रही ज़िन्दगी पल-पल बेजान बन कर रह गये  अफ़सोस होता है रह-रह कर दुरी का  सिलसिले इमतिहा बन कर रह गये ....